Tuesday, July 12, 2011

कुछ साँसे उधार है…





तेरे आने का... अब हमे इंतेज़ार ना रहा…
यह वक़्त अब… यूँही गुज़रता रहता है…

तेरी मोहोब्बत का दर्द.. अब इन आँखों मे नही रहा…
अब तो बेवजह पानी बरसता रहता है.....

ना महफ़िल का लिहाज़ है हमे… ना तनहाई मे है सुकून…

अब बस जिए जा रहे है.. क्योंकि…
जिंदगी पे… हमारी कुछ साँसे उधार है…

अब बस जिए जा रहे है.. क्योंकि…
जिंदगी पे… हमारी कुछ साँसे उधार है…