Tuesday, July 12, 2011

कुछ साँसे उधार है…





तेरे आने का... अब हमे इंतेज़ार ना रहा…
यह वक़्त अब… यूँही गुज़रता रहता है…

तेरी मोहोब्बत का दर्द.. अब इन आँखों मे नही रहा…
अब तो बेवजह पानी बरसता रहता है.....

ना महफ़िल का लिहाज़ है हमे… ना तनहाई मे है सुकून…

अब बस जिए जा रहे है.. क्योंकि…
जिंदगी पे… हमारी कुछ साँसे उधार है…

अब बस जिए जा रहे है.. क्योंकि…
जिंदगी पे… हमारी कुछ साँसे उधार है…



Wednesday, May 18, 2011

शमा बन गये है...




डूब जाओ.. डूब जाओ... इन आँखों की मस्ती मे....
क्या रखा है.... इस किनारे की कश्ती मे....


डूब कर ही शायद... साहिल को पाना है...
तुम्हे खो कर ही शायद... तेरी मोहोब्बत को जाना है....

जलादो वो यादे... जलादो वो वादे....
जलादो वो हर चीज़.... जो दर्द को पन्हा दे....

हम तो तेरी मोहोब्बत मे शमा बन गये है...
कोई अनसुनी.. अनकही... दुआ बन गये है...